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Tuesday 9 March 2021

sandhi ki paribhasha with example संधि की परिभाषा, प्रकार और भेद उदाहरण सहित

sandhi ki paribhasha with example  संधि की परिभाषा, प्रकार और भेद उदाहरण सहित




संधि 



परिभाषा -  

दो वर्णो के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते है |

उदाहरण :   विद्या + आलय  = विद्यालय
                  जगत + नाथ = जगन्नाथ 
                  मन: + योग = मनोयोग
संधि के प्रकार - संधि तीन प्रकार की होती है - 

1. स्वर संधि - 
दो स्वर वर्णो के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है । उसे स्वर संधि कहते है। 

जैसे -  सूर्य + अस्त =  सूर्यास्त 
          महा + आत्मा = महात्मा 

      स्वर संधि के पाँच भेद होते है -
1.  दीर्घ स्वर संधि 
2. गुण स्वर संधि 
3. वृद्धि स्वर संधि 
4. यण स्वर संधि 
5. अयादी स्वर संधि 


1.  दीर्घ स्वर संधि - 
 दीर्घ स्वर संधि की परिभाषा सीखने से पहले यह जानना जरूरी है कि दीर्घ स्वर कौन कौन होते है । 
आ , ई , ऊ  दीर्घ स्वर होते है ।

परिभाषा - यदि  'अ ' , ' इ ' , ' उ ' के बाद 'अ ' , ' इ ' , ' उ ' स्वर ही आए तो 'आ  ' , ' ई  ' , ' ऊ  ' हो जाते है । 

अ + अ  = आ 
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
स्व + अर्थ =  स्वार्थ 

अ  + आ  = आ 
देव + आलय = देवालय 
नव + आगत = अवागत 

आ  + अ  = आ 
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी 
सीमा + अंत = सीमांत 

आ  + आ  = आ 
महा +आत्मा = महात्मा 

इ  + इ  = ई 
रवि + इंद्र =  रवीन्द्र 
मुनि + इंद्र = मुनीन्द्र 

इ  + ई = ई 
गिरि + ईश = गिरीश 
हरि + ईश = हरीश 

ई + इ  = ई 
मही + इंद्र = महीन्द्रा 

ई + ई  = ई
रजनी + ईश = रजनीश 
जानकी + ईश = जानकीश

उ  + उ  = ऊ
 भानू + उदय = भानूदय
गुरू + उपदेश =गुरूपदेश


उ  + ऊ  = ऊ 
 साधू + ऊर्जा = साधूर्जा 

ऊ + ऊ  = ऊ  
भू + ऊर्जा = भूर्जा 
भू + ऊष्मा = भूष्मा 

ऊ + उ  = ऊ  
भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग 



2. गुण स्वर संधि  - यदि 'अ' और 'आ' 
बाद 'इ' या 'ई' , 'उ' या 'ऊ' और 'ऋ' स्वर आए तो दोनों के मिलने से 'ए ' , 'ओ ' और 'अर् ' हो जाते हैं । 
जैसे -
अ + इ = ए 
नर + इंद्र = नरेन्द्र
सुर + इंद्र = सुरेन्द्र
पुष्प + इन्द्र = पुष्पेन्द्र
सत्य + इंद्र = सत्येन्द्र

अ + ई = ए
नर + ईश = नरेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
सोम + ईश = सोमेश
कमल + ईश = कमलेश

आ + इ = ए
रमा + इंद्र = रमेन्द्र
महा + इंद्र = महेंद्र
राजा + इंद्र = राजेंद्र

आ + ई = ए
महा + ईश = महेश
उमा + ईश = उमेश
राका + ईश = राकेश
रमा + ईश = रमेश

अ + उ = ओ
वीर + उचित = वीरोचित
मानव + उचित = मानवोचित
पर + उपकार = परोपकार
हित + उपदेश = हितोपदेश

अ + ऊ = ओ
सूर्य + ऊर्जा = सूयोर्जा
समुद्र + ऊर्मि= समुद्रोर्मि

आ + उ = ओ
महा + उदय = महोदय
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उष्ण = महोष्ण
गंगा + उदक = गंगोदक

अ + ऋ = अर्
देव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षी 
राज + ऋषि = राजर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि

आ + ऋ = अर्
महा + ऋषि = महर्षि



3 . वृद्धि संधि- 'अ' या 'आ ' के बाद 'ए' या 'ऐ' आए तो 'ऐ' हो जाता है तथा 'अ' और 'आ ' के बाद 'ओ' या 'औ' आए तो 'औ ' होता है।
जैसे -
अ + ए = ऐ
एक + एक = एकैक
लोक + एषणा = लोकेषणा

अ + ऐ = ऐ 
मत + ऐक्य = मतैक्य
धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य

आ + ए = ऐ
सदा + एव = सदैव
तथा + एव = तथैव

आ + ऐ = ऐ
महा + ऐश्वर्य = महेश्वर्य

अ + ओ = औ
वन + ओषधि = वनोषधि
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ

अ + औ = औ
परम + औदार्य = परमौदार्य
परम + औषध = परमौषध

आ + ओ = औ
महा + ओजस्वी = महौजस्वी
महा + ओज = महौज

आ + औ = औ
महा + औषध = महौषध
महा + औदार्य = महौदार्य


4 .यण संधि -
यदि 'इ' , ' ई ' , ' उ ' , ' ऊ ' और ' ऋ ' के बाद भिन्न स्वर आए तो इ और ई का य , उ और ऊ का व तथा ऋ का र होता है 
जैसे -
इ + अ = य 
अति + अधिक = अत्यधिक
यदि + अपि = यद्यपि

इ + आ = या 
इति + आदि = इत्यादि 
अति + आचार = अत्याचार

इ + उ = यू
नि + ऊन = न्यून
वि + ऊह = व्यूह

इ + ए = ये 
प्रति + एक = प्रत्येक
अधि + एषणा = अध्येषणा

ई + आ = या 
देवा + आगमन = देव्यागमन
सखी + आगमन = सख्यागमन

ई + ऐ = यै
सखी + ऐश्वर्य = सख्यैश्वर्य
नदी + ऐश्वर्य = नद्यैश्वर्य

उ + अ = व 
स् + अच्छ = स्वच्छ
अनु + अय = अन्वय

उ + आ = वा 
सु + आगत = स्वागत
मधु + आयल = मध्वालय

उ +इ = वि 
अनु + इति = अन्विति
अनु + इत = अन्वित

उ + ए = वे 
प्रभु + एषणा = प्रभ्वेषणा
अनु + एषण = अन्वेषण

उ + ओ = वो 
गुरु + ओदन = गुवोदन

ऊ + आ = वा
वधु + आगमन = वध्वागमन
भू + आदि = भ्वादि

ऋ + अ = र
पितृ + अनुमति = पित्रनुमति

ऋ + आ = रा
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा

ऋ + इ = रि
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा
पितृ+ इच्छा = पित्रिच्छा


5 . अयादि संधि - यदि ए, ऐ, ओ, औ स्वरो का मेल दूसरो स्वरो में से हो तो ए का अय , ऐ का आय , ओ का अव तथा औ का आव के रूप में हो जाता है। 
जैस -
ए + अ = अय 
ने + अन = नयन

ऐ + अ = आय
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
गै + अन = गायन

ऐ + इ = आयि 
नै + इका = नायिका
गै + इका = गायिका

ओ + अ = अव
पो + अन = पवन
भो + अन = भवन
श्रो + अन = श्रवण

ओ + इ = अवि 
पो + इत्र = पवित्र
गो + इनि = गविनी

ओ + ई = अवी
गो + ईश = गवीश

औ + अ = आव 
पौ + अन = पावन
पौ + अक = पावक
भौ + अन = भावन

औ + इ = आवि
नौ + इक = नाविक
भौ + इनि = भाविनी 

औ + उ = आवु
भौ + उक = भावुक 

व्यंजन संधि के लिए देखें पर क्लिक करें - देखें 

विसर्ग संधि के लिए‍ देखें पर क्लिक करें - देखें 

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